॰ टिकट वितरण में आश्चर्यजनक तरीका अपनाने के कारण भाजपा से जुड़े लोगों की महत्वाकांक्षी योजना भी चरम पर रहती है , हद तो तब हो जाती है जब शहर के एक विधायक की कार्यप्रणाली पर उसके ही सहयोगी अपने लोगों के बीच उंगली उठाते बात करते नजर आते हैं । कहीं उन सहयोगी की अगली बार के लिए अपनी दाल पकाने की कोशिश तो नहीं , पकेगी कि नहीं ये तो राम जाने या फ़िलहाल के विधायक जाने।
॰ भाजपा सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार तो फ़िलहाल अभी नहीं होगा लगता है लेकिन सत्ता की मलाई छानने और छीनने में माहिर अधिकारियों और लोगों की हाज़िरी संभावित मंत्रियों की ड्योढी पर नज़र आने लगी है दुर्ग जिला भी इससे अछूता नहीं है , काबिलियत का पैमाना पिछली सरकारों में जमकर पैसा निकालने का अनुभव तो है ही और अनुभव तो सब जगह काम आता ही है सराहा भी जाता ही है।
॰ दुर्ग जिले के पुलिस कप्तान साहब सजग प्रहरी की तरह काम करने की कोशिश भरपूर कर रहें है लेकिन थानों की रस्साकसी से हलाकान भी हैं निलंबन भी कर रहे हैं नजर भी रखें हैं । तो क्या बाज की पैनी नजर और पीड़ितों की उनके कानों तक आती आवाज थानों को और मुस्तैद बना पाएगी देखेंगे हम लोग।
॰ पहले संगठन चुनाव और अब स्थानीय चुनाव , भाजपा के लोग लगातार इधर से उधर सक्रिय हैं। गाड़ियों में पेट्रोल डीजल और तोहफ़े भर लिए गए हैं दांव किसका लगा पहले और अब किसका लगेगा ये दीगर बात है लेकिन भाजपा सक्रिय रहती और रखती है ये सौ फ़ीसदी सही है और शायद यही जीत का मूलमंत्र है। क्या कांग्रेस भी इसी राह पर चलेगी ?
॰ हवाई जहाज वाले को ट्रक , ट्रक वाले को कार, कार वाले को दोपहिया सवार छोटे ही नजर आते हैं , भिलाई स्टील प्लांट के कार पर चलने वाले नीति नियंताओं का हाल भी कुछ ऐसा ही है लगता है । डामरीकरण के नाम पर डामर और रेत डाल दी और दोपहिया सवारों को छोड़ दिया बाजीगरी दिखाने के लिए । सफल रहें तो घर पहुँचेंगे नहीं तो हॉस्पिटल। फैसला आपका बाजीगरी करना है कि नहीं।