
आयुष्मान और सौभाग्य योग के संयोग में मनाया जा रहा पहला सावन सोमवार, भगवान शिव की आराधना से मिलेगा मनोवांछित फल
सावन मास का आरंभ 11 जुलाई से हो चुका है और आज, 14 जुलाई 2025 को पहला सोमवार है, जिसे शिवभक्तों के लिए अत्यंत पावन दिन माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन सोमवार का व्रत और पूजन भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। इस बार यह दिन कई शुभ संयोगों के साथ आया है, जो इसे और भी विशेष बना रहा है।
नई दिल्ली (ए)। श्रावण मास का पहला सोमवार आज, 14 जुलाई 2025 को मनाया जा रहा है, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इस पर भगवान शिव की आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि सावन सोमवार पर व्रत और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस वर्ष प्रथम श्रावण सोमवार पर धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र के साथ आयुष्मान और सौभाग्य योग का भी शुभ संयोग बन रहा है। यही नहीं, इस दिन गजानन संकष्टी चतुर्थी भी है, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।
ऐसे करें शिव पूजन:
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवजी, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा का संकल्प लें।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, शमी पत्र, धतूरा, गंगाजल, फूल और दूध अर्पित करें।
- शिव मंत्रों का जाप करते हुए जलाभिषेक करें।
- देसी घी का दीपक जलाकर शिवजी की आरती करें।
- शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ विशेष रूप से लाभकारी माना गया है।
सावन सोमवार व्रत का आध्यात्मिक महत्व:
यह व्रत केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और साधना का पावन अवसर भी है। महिलाएं इस दिन पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं, जबकि पुरुष मानसिक शांति, आत्मबल और आध्यात्मिक उन्नति के लिए यह व्रत रखते हैं। कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति हेतु इस दिन शिवजी की विशेष पूजा करती हैं।
मान्यता है कि माता पार्वती ने भी शिवजी को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। तभी से यह व्रत एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है, जिसमें आस्था, श्रद्धा और संयम का संगम होता है।
सावन का माह और शिव का विशेष संबंध:
सावन मास को भगवान शिव का प्रिय महीना कहा गया है। इस दौरान शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि सावन में भोलेनाथ पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की पुकार तुरंत सुनते हैं। इस मास में श्रद्धापूर्वक किया गया हर अनुष्ठान मनोकामना पूर्ण करने वाला होता है।