
गलत दिशा, अधूरी सेवा और उपेक्षा से घट सकती है पूजा का प्रभाव, ज्योतिषी पंडित हितेंद्र शर्मा ने बताए महत्वपूर्ण वास्तु नियम
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद कई श्रद्धालु लड्डू गोपाल को अपने घर में स्थायी रूप से विराजमान करते हैं, लेकिन यह केवल आस्था का नहीं बल्कि जिम्मेदारी का भी विषय है। अगर स्थापना और सेवा के नियमों का पालन न किया जाए, तो पूजा का असर कम हो सकता है और घर की शांति भी प्रभावित हो सकती है। भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि कान्हा जी की मूर्ति स्थापना के दौरान किन 6 बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर घर में उल्लास और भक्ति का माहौल लेकर आता है। इस अवसर पर कई लोग लड्डू गोपाल की मूर्ति को अपने घर में स्थापित करते हैं और फिर रोज़ उनकी सेवा करते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कान्हा जी की स्थापना के कुछ विशेष नियम हैं, जिन्हें अनदेखा करना अशुभ प्रभाव डाल सकता है। भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने इन नियमों की विस्तार से जानकारी दी है।
1. ईशान कोण में ही करें स्थापना
वास्तु शास्त्र के अनुसार, लड्डू गोपाल की मूर्ति को घर के उत्तर-पूर्व कोने (ईशान कोण) में रखना सबसे उत्तम है। यह देवताओं की दिशा मानी जाती है और यहां से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गलत दिशा में स्थापना करने से पूजा का प्रभाव घट सकता है।
2. बांसुरी और मोरपंख का महत्व
कान्हा जी की पहचान बांसुरी और मोरपंख से भी जुड़ी है। इसलिए मूर्ति के साथ एक लकड़ी की बांसुरी अवश्य रखें और माथे पर मोरपंख का मुकुट सजाएं। माना जाता है कि मोरपंख से घर में सुख-शांति बनी रहती है और बांसुरी भगवान को प्रसन्न करती है।
3. रोज़ाना करें भोग और सेवा
लड्डू गोपाल को केवल मूर्ति न मानें, बल्कि परिवार के सदस्य की तरह मान-सम्मान दें। उन्हें रोज़ माखन-मिश्री का भोग लगाएं, वस्त्र बदलें, जल अर्पित करें और आसन की साफ-सफाई बनाए रखें।
4. राधा जी के बिना अधूरी पूजा
धार्मिक मान्यता है कि राधा जी के बिना श्रीकृष्ण अधूरे हैं। इसलिए जहां लड्डू गोपाल को स्थापित करें, वहां राधा रानी की मूर्ति भी जरूर रखें। इससे पूजा पूर्ण मानी जाती है और घर में प्रेम व सौहार्द बढ़ता है।
5. सेवा न कर पाने की स्थिति में करें यह उपाय
यदि किसी कारणवश नियमित पूजा संभव न हो, तो मूर्ति को बिना सेवा के न छोड़ें। ऐसे में किसी योग्य व्यक्ति को सौंप दें या साफ कपड़े में लपेटकर सुरक्षित स्थान पर रखें। मूर्ति का विसर्जन केवल अंतिम विकल्प होना चाहिए।
6. कान्हा जी को घर का सदस्य मानें
एक बार स्थापना हो जाने के बाद, रोज़ाना पूजा और सेवा आपकी जिम्मेदारी बन जाती है। जैसे घर के बच्चों की देखभाल की जाती है, वैसे ही लड्डू गोपाल की भी नियमित सेवा करें। इन नियमों का पालन करने से न केवल पूजा का प्रभाव बढ़ता है, बल्कि घर में सुख-शांति, प्रेम और समृद्धि का वास भी बना रहता है।