
नई दिल्ली। आसमान शब्द सुनते ही आंखों के सामने एक नीले रंग की चादर आ जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आसमान का रंग नीला ही क्यों है (why sky is blue)? और जब स्पेस से सब काला नजर आता है, तो धरती से आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?
इस सवाल का जवाब बेहद रोचक है और अगर आप साइंस (sky color facts) के बारे में पढ़ना या जानना पसंद करते हैं, तो यह आर्टिकल आपको जरूर पढ़ना चाहिए। आइए समझते हैं कि आसमान नीला क्यों दिखता है।
सूरज की रोशनी और रंग
सूरज की रोशनी सफेद दिखाई देती है, लेकिन असल में यह सात रंगों (बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल) से मिलकर बनी होती है, जिसे हम स्पेक्ट्रम (Spectrum) कहते हैं। जब यह रोशनी धरती के वायुमंडल में प्रवेश करती है, तो हवा के अणुओं और धूल के कणों से टकराता है, जिसके कारण लाइट स्कैटर (Light Scatter) होती है।
रेले का स्कैटरिंग लॉ (Rayleigh Scattering)
आसमान के नीले रंग का मुख्य कारण “रेले का स्कैटरिंग लॉ” है। इस लॉ के अनुसार, रोशनी के अलग-अलग रंगों की स्कैटरिंग उनकी वेवलेंथ (Wavelength) पर निर्भर करती है। छोटी वेवलेंथ वाले रंग (जैसे नीला और बैंगनी) ज्यादा स्कैटर होते हैं, जबकि लंबी वेवलेंथ वाले रंग (जैसे लाल और पीला) कम स्कैटर होते हैं।
क्योंकि नीले रंग की वेवलेंथ (लगभग 450495 नैनोमीटर) बहुत छोटी होती है, यह वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के अणुओं से टकराकर सभी दिशाओं में फैल जाती हैं। इसी कारण हमें आसमान नीला दिखाई देता है।
बैंगनी रंग की बजाय नीला क्यों?
एक सवाल यह उठता है कि बैंगनी रंग की वेवलेंथ नीले से भी कम होती है, फिर आसमान बैंगनी क्यों नहीं दिखता? इसका कारण यह है कि-
इंसानी आंखें नीले रंग के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं, जबकि बैंगनी रंग को कम देख पाती हैं।
इसलिए, बैंगनी रंग की ज्यादा स्कैटरिंग के बावजूद हमें आसमान नीला ही दिखाई देता है।
सूरज उगते और डूबते समय आसमान लाल क्यों दिखता है?
सनराइज और सनसेट के समय सूरजकी किरणों को वायुमंडल में ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है। इस दौरान नीली और छोटी वेवलेंथ की रोशनी पहले ही स्कैटर हो जाती है और केवल लंबी वेवलेंथ वाले रंग (लाल, नारंगी) हमारी आंखों तक पहुंच पाते हैं। इसीलिए सूरज के उगते और डबते समय आसमान लाल-नारंगी सा दिखाई देता है।