
मजदूर दिवस पर कांग्रेस ने बोरे-बासी खाकर सांस्कृतिक जुड़ाव जताया, इस बार न सरकार का कार्यक्रम, न कोई आधिकारिक पहल
छत्तीसगढ़ में 1 मई को कांग्रेस पार्टी ने ‘बोरे-बासी दिवस’ के रूप में मजदूर दिवस मनाया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने पारंपरिक भोजन बोरे-बासी खाकर उसे मेहनतकशों की पहचान बताया। जहां एक ओर कांग्रेस सोशल मीडिया पर सक्रिय रही, वहीं मौजूदा सरकार की ओर से इस बार कोई प्रतिक्रिया या आयोजन सामने नहीं आया।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में ‘बोरे-बासी दिवस’ का चलन 2020 के बाद शुरू हुआ, जब भूपेश बघेल सरकार ने मजदूर दिवस पर इसे पारंपरिक और प्रतीकात्मक रूप में मनाना शुरू किया। मंत्रियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक ने तब बोरे-बासी खाते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की थीं। यह अभियान राज्य की सांस्कृतिक पहचान और मजदूरों के प्रति सम्मान जताने का प्रतीक बन गया।
इस परंपरा को कांग्रेस पार्टी ने इस साल भी जारी रखा। पार्टी ने सभी कार्यकर्ताओं व समर्थकों से अपील की कि वे 1 मई को बोरे-बासी खाकर उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बोरे-बासी केवल भोजन नहीं, बल्कि मेहनतकश जीवनशैली और छत्तीसगढ़ी अस्मिता का प्रतीक है।
दिलचस्प बात यह रही कि पिछले साल भाजपा सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी बोरे-बासी खाकर मजदूरों को शुभकामनाएं दी थीं और रायपुर में श्रमिकों को सम्मानित भी किया था। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री कार्यालय या भाजपा सरकार की ओर से इस विषय पर कोई आधिकारिक पहल नहीं की गई। न कोई बयान आया, न कोई आयोजन की सूचना जारी की गई।
कांग्रेस का दावा है कि अब यह केवल एक राजनीतिक या सरकारी आयोजन नहीं रहा, बल्कि आम जनता भी इसे अपनाने लगी है। पार्टी इसे प्रदेश की जड़ों से जोड़ने वाला पर्व मानती है, जो राज्य की सांस्कृतिक चेतना और मेहनतकश वर्ग के प्रति सम्मान को जीवंत करता है।