
पूर्वजों की शांति के लिए 16 दिनों तक होगा श्राद्ध, तर्पण और दान का महापर्व, 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा समापन
भाद्रपद पूर्णिमा के पावन स्नान और चंद्र ग्रहण के संयोग के साथ रविवार, 7 सितंबर से पितृ पक्ष 2025 का शुभारंभ हो गया है। आने वाले 16 दिनों तक देशभर में श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करेंगे। इस अवधि का धार्मिक महत्व शास्त्रों में विशेष बताया गया है।
हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ इस बार 7 सितंबर, रविवार से हो रहा है, जो 21 सितंबर, रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के साथ सम्पन्न होगा। इस 16 दिवसीय अवधि को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना से तर्पण, श्राद्ध और दान करते हैं।
पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा स्नान के साथ हुई और विशेष संयोग यह रहा कि इसी दिन रात्रि 10:58 बजे से चंद्र ग्रहण भी लगा, जो रात 1:26 बजे तक रहेगा। ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से ही शुरू हो चुका है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और श्रद्धालु घरों में ही पूजा-अर्चना करेंगे।
पवित्र नदियों गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी और क्षिप्रा के तटों पर श्रद्धालु स्नान व तर्पण कर पूर्वजों को स्मरण करेंगे। शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में किया गया श्राद्ध कर्म पितरों को तृप्त करता है और परिवार पर सुख-समृद्धि तथा उन्नति का आशीर्वाद लेकर आता है। वहीं, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी यह सर्वोत्तम समय माना जाता है।