
जिले में 213 प्रजाति के पक्षी; वेटलैंड्स में रंगबिरंगे सारस, 1100 से ज्यादा बत्तख; कीटभक्षी पौधा भी
खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ इस समय प्रवासी पक्षियों से गुलजार है। जिले में 213 प्रजाति के पक्षी मिले हैं। रूस के कॉमन क्रेन पक्षी के अलावा 90 पेंटेड स्टॉर्क्स और 1100 से अधिक प्रवासी बत्तखें देखी गई हैं। जलचर पक्षियों में नॉर्दर्न शोवलर, यूरेशियन कर्ल्यू और कॉमन पोचार्ड शामिल हैं। छत्तीसगढ़ बायोडायवर्सिटी बोर्ड और खैरागढ़ वन विभाग के नेतृत्व में एक सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वे में वेटलैंड (आर्द्रभूमि) की असाधारण जैव विविधता को देखा गया। वेटलैंड यानी जमीन का वह हिस्सा जहां जमीन और पानी दोनों की विशेषताएं होती हैं। वेटलैंड में अनोख कीटभक्षी पौधा भी दिखा है। डीएफओ आलोक तिवारी ने जानकारी दी कि, वेटलैंड की विशेषता केवल पक्षियों तक ही सीमित नहीं है। यहां यूट्रीकुलेरिया नामक एक कीटभक्षी पौधा भी पाया गया है, जो जल को स्वच्छ रखने में मदद करता है।
नाजास, वेलिसनेरिया और लिम्नोफिला जैसे जलीय पौधे प्रवासी पक्षियों के लिए भोजन का स्रोत हैं। मछलियों में रोहू, कतला, पोठी, मोला और टेंगना प्रमुख हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। प्रकृति रिसर्च और संरक्षण सोसाइटी के सदस्य प्रतीक ठाकुर के मुताबिक, स्थानीय पर्यावरण की सुरक्षा के लिए स्कूलों और गांवों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। वेटलैंड के आसपास डस्टबिन और साइनबोर्ड लगाए गए हैं। जिससे इस अनमोल धरोहर की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस क्षेत्र को ईको-टूरिज्म से जोड़ा जाए, तो यह जगह पक्षी प्रेमियों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन सकती है। इसके लिए स्थानीय समुदाय की भागीदारी बेहद जरूरी होगी। खैरागढ़ का यह वेटलैंड सर्वेक्षण यहां की जैव विविधता को दिखाता है। साथ ही इन वेटलैंड्स को संरक्षित किया जाए, तो आने वाले सालों में यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पक्षी विहार बन सकता है।