
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन यानी चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के दिन होली खेली जाती है. होली के 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं. होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ ही होता है. इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं.
चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है. होली के आठ दिन पूर्व होलाष्टक लग जाते हैं. इन आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति बदलती रहती है. साथ ही इस दौरान शुभ कार्य करने भी वर्जित माने जाते हैं. इस बार होलाष्टक 7 मार्च यानी आज से शुरू हो रहे हैं और इसका समापन 13 मार्च होलिका दहन के दिन होगा और 14 मार्च को होली मनाई जाएगी.
मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति होलाष्टक के दौरान कोई मांगलिक काम करता है तो उसे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं व्यक्ति के जीवन में कलह, बीमारी और अकाल मृत्यु का साया भी मंडराने लगता है. इसलिए होलाष्टक के समय को शुभ नहीं माना जाता है.