
“शिक्षकों का आक्रोश – ‘सरकार गोली मार दे या इच्छामृत्यु दे, पर समस्या का समाधान करे'”
“महिला शिक्षिकाओं का बयान – ‘सीता की अग्निपरीक्षा की तरह हमें भी अंगारों पर चलना पड़ रहा है'”
छत्तीसगढ़ में बर्खास्त किए गए B.Ed सहायक शिक्षकों का आंदोलन लगातार 115वें दिन भी जारी है। अपनी मांगों को लेकर शिक्षकों ने अब तक कई तरह के विरोध प्रदर्शन किए हैं, लेकिन 5 अप्रैल को उन्होंने अंगारों पर चलकर सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की। शिक्षकों का कहना है कि सरकार या तो उन्हें नौकरी वापस दे या फिर इच्छामृत्यु का अधिकार। इस मामले में विपक्षी कांग्रेस ने भी सरकार पर निशाना साधा है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों का संघर्ष दिन-ब-दिन और भी मार्मिक होता जा रहा है। 5 अप्रैल की रात शिक्षकों ने अपनी पीड़ा को दर्शाने के लिए एक अभूतपूर्व तरीका अपनाया – अंगारों पर चलकर प्रदर्शन। इस दौरान महिला शिक्षिकाओं ने कहा, “जैसे सीता माता को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी, वैसे ही हमें भी अंगारों पर चलकर अपनी मांगें मनवानी पड़ रही हैं।”
- शिक्षकों की पीड़ा:
3000 से अधिक B.Ed शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है। - 115 दिन से जारी है आंदोलन, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
- एक शिक्षक ने कड़वी बात कही – “सरकार हमें गोली मार दे, पर हमारी समस्या का समाधान करे।”
राजनीतिक घमासान:
कांग्रेस ने इस मामले में भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, “भाजपा ने चुनावों में 5 साल में 1 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन आज हालत यह है कि युवाओं को अंगारों पर चलना पड़ रहा है।”
धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़?
महिला शिक्षिकाओं ने आरोप लगाया कि रामनवमी के दिन जब वे राम मंदिर दर्शन के लिए जा रही थीं, तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। “क्या हमारी धार्मिक आस्था पर भी पाबंदी है?” उन्होंने सवाल खड़ा किया।
सरकार की चुप्पी पर सवाल:
शिक्षकों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। “हमने चुनरी यात्रा निकाली, अंगारों पर चले, लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं हुआ,” एक महिला शिक्षिका ने कहा। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इन शिक्षकों की पीड़ा को समझेगी और जल्द ही कोई ठोस निर्णय लेगी, या फिर यह आंदोलन और लंबा खिंचेगा?