
तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर 5,000 से ज्यादा जवानों की तैनाती | वायुसेना, कोबरा, DRG, STF, CRPF और ग्रेहाउंड्स की संयुक्त कार्रवाई जारी
देशभर में नक्सलियों के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े सुरक्षा अभियान की शुरुआत हो चुकी है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा पर करीब 5,000 जवानों ने मोस्ट वांटेड नक्सली नेताओं को घेर लिया है। अत्याधुनिक हथियारों और वायुसेना के सहयोग से चल रही यह कार्रवाई, नक्सल विरोधी इतिहास में मील का पत्थर बन सकती है।
बीजापुर। तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा पर भारत का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी ऑपरेशन शुरू हो चुका है। इस अभियान में देश के मोस्ट वांटेड 300 से अधिक नक्सली नेताओं को घेरने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। ऑपरेशन में DRG, STF, कोबरा, CRPF, बस्तर फाइटर्स, महाराष्ट्र की C60 कमांडो और आंध्र की ग्रेहाउंड्स फोर्स, साथ ही भारतीय वायुसेना की भूमिका अहम रही है।
अब तक 5 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। हेलिकॉप्टरों के माध्यम से जवानों को रसद भेजी जा रही है, जबकि ड्रोन से पूरे इलाके की निगरानी की जा रही है। ऑपरेशन की तैयारी दो दिन पहले ही पूरी कर ली गई थी, जब MI-17 हेलिकॉप्टरों को रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया गया। जवानों ने कररेगुट्टा और नीलम सराय पहाड़ियों को पूरी तरह से घेर लिया है, जहाँ नक्सलियों की भारी मौजूदगी की जानकारी मिली थी।
करीब 5,000 जवानों की इस घेराबंदी में हिड़मा, दामोदर और देवा जैसे बड़े नक्सली नेता और उनकी बटालियनें फंसी हुई हैं। नक्सलियों के पास सीमित राशन और संसाधन हैं, जिससे उनके लिए लंबी लड़ाई संभव नहीं दिख रही। इस इलाके में बटालियन नंबर 1, 2 और अन्य सशस्त्र नक्सली इकाइयाँ सक्रिय हैं, जिनमें सेंट्रल कमेटी के सदस्य, DKSZCM, DVCM, ACM और संगठन सचिव जैसे हाई-प्रोफाइल नक्सली कैडर शामिल हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि, “पिछले 15 महीने से हमारे सुरक्षाबल बहादुरी से नक्सलियों का सामना कर रहे हैं। यह ऑपरेशन निर्णायक साबित हो सकता है। अभी कार्रवाई जारी है, कुछ और समय इंतजार करें।”