
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में राज्य की संभावनाओं पर हुई चर्चा, आधुनिक तकनीकों व नीति समन्वय पर विशेषज्ञों ने रखे विचार
राजधानी रायपुर में आयोजित एकदिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ की खनिज विविधता और रणनीतिक महत्व के खनिजों के वैज्ञानिक दोहन पर व्यापक मंथन हुआ। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला में विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं ने राज्य को राष्ट्रीय खनिज नीति में अग्रणी बनाने की दिशा में ठोस सुझाव दिए।
रायपुर । छत्तीसगढ़ की खनिज संपदा को वैज्ञानिक व पारदर्शी तरीके से उपयोग में लाने के लिए राजधानी रायपुर स्थित न्यू सर्किट हाउस में एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। खनिज संसाधन विभाग एवं भूविज्ञान एवं खनन संचालनालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामरिक एवं रणनीतिक खनिजों के अन्वेषण, दोहन और औद्योगिक उपयोग पर तकनीकी दृष्टिकोण साझा करना था।
मुख्यमंत्री के सचिव एवं खनिज संसाधन विभाग के सचिव पी. दयानंद ने उद्घाटन सत्र में संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ खनिज विविधता के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में है। राज्य में कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट, लौह अयस्क, बाक्साइट से लेकर लीथियम, कोबाल्ट, और रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे सामरिक महत्व के खनिज बड़ी मात्रा में मौजूद हैं, जो इसे वैश्विक खनिज बाजार में महत्वपूर्ण स्थान दिला सकते हैं।
उन्होंने बताया कि नेशनल प्रोग्राम ऑन एक्सप्लोरेशन स्ट्रैटेजी और नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (NMET) के माध्यम से राज्य की खनिज खोज गतिविधियों को गति देने का प्रयास किया जा रहा है। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसियों की सहभागिता सुनिश्चित करना और राज्य की रणनीतिक खनिज परियोजनाओं को तेज़ी से लागू करना है।
तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों की प्रस्तुतियाँ
कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के रविकांत गुप्ता ने छत्तीसगढ़ की भूगर्भीय विशेषताओं व खनिज संभावनाओं पर जानकारी दी। वहीं मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड के भुवनेश्वर कुमार ने लीथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट, टंगस्टन, फॉस्फेट जैसे खनिजों की खोज में उपयोगी नवीन तकनीकों की जानकारी साझा की। NMET के प्रतिनिधि अक्षय वर्मा ने प्रस्ताव प्रस्तुति की प्रक्रिया, वित्तीय अनुदान योजनाओं और राज्य की भागीदारी बढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के पास खनिज क्षेत्र में अग्रणी बनने की व्यापक संभावनाएं हैं, जिन्हें नीति और प्रौद्योगिकी के साथ साधने की जरूरत है।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में छत्तीसगढ़ की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ की खनिज गुणवत्ता और विविधता इसे वैश्विक खनिज आपूर्ति तंत्र में एक अहम भागीदार बना सकती है। खनिज उत्पादन, बाज़ार मांग और दीर्घकालिक रणनीति के संतुलन से राज्य औद्योगिक विकास की नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
समापन सत्र में समीक्षा और सुझाव
कार्यशाला के अंतिम सत्र में अब तक किए गए खनिज सर्वेक्षणों की समीक्षा की गई। अधिकारियों ने तकनीकी दक्षता बढ़ाने, अंतर-विभागीय समन्वय मजबूत करने और निवेशकों को आकर्षित करने हेतु प्रक्रियाओं को सरल एवं समयबद्ध बनाने की सिफारिश की।
वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ यदि खनिज नीति को वैज्ञानिक ढंग से लागू करता है, तो यह राज्य न केवल देश की ऊर्जा और खनिज सुरक्षा में योगदान देगा, बल्कि निजी व सार्वजनिक निवेश के नए द्वार भी खोलेगा।
प्रतिभागियों की सहभागिता
इस अवसर पर आईआईटी धनबाद के प्रो. साहेंद्र सिंह, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (IBM) के प्रेम प्रकाश, खनिज संचालनालय के संचालक रजत बंसल, संयुक्त संचालक अनुराग दीवान एवं संजय कनकाने सहित केंद्रीय व राज्य स्तरीय एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों, तकनीकी विशेषज्ञों एवं नीति सलाहकारों ने सक्रिय भागीदारी की।