
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने महादेव सट्टा ऐप घोटाले मामले में सीबीआई की छापेमारी को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी रैली से जोड़ते हुए इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया है। बघेल ने आरोप लगाया कि मोदी के 30 मार्च को बिलासपुर दौरे से पहले उनके खिलाफ यह कार्रवाई बीजेपी द्वारा “भाषण का मुद्दा गढ़ने” के लिए की गई है।
बुधवार को सीबीआई ने महादेव सट्टा ऐप घोटाले की जांच के तहत भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई स्थित आवासों पर छापेमारी की। इस दौरान बघेल दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में बैठक में शामिल थे। छापे के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “जब हमारी सरकार थी, तब छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस मामले में 74 एफआईआर दर्ज कीं और कड़ी कार्रवाई की। अब अचानक मेरे घर पर छापा क्यों? यह साफ तौर पर राजनीतिक षड्यंत्र है।”
बघेल का बड़ा आरोप: ‘बीजेपी नेताओं का घोटालेबाजों से नाता!’
बघेल ने सीबीआई की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए बीजेपी पर निशाना साधा:
- “डबल इंजन सरकार होने के बावजूद महादेव ऐप घोटाला जारी है। बीजेपी ने मुख्य आरोपी रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर को नहीं पकड़ा।”
- “बीजेपी नेता प्रदीप मिश्रा दुबई में इन घोटालेबाजों के मेहमान बने थे। क्या उनसे पूछताछ हुई?”
- “इन आरोपियों की तस्वीरें पूर्व सीएम रमन सिंह और वर्तमान राज्यपाल रमेश बैस के साथ हैं। क्या सीबीआई ने उनके घर छापे मारे?”
’12 घंटे में छापा, लेकिन सबूत कुछ नहीं मिला’
बघेल ने जोर देकर कहा कि सीबीआई को उनके घरों से कोई गलत दस्तावेज या सबूत नहीं मिला। उन्होंने कहा, “मेरी सरकार ने इस घोटाले पर सख्त कार्रवाई की थी। अब मुझ पर ही आरोप लगाया जा रहा है। यह बीजेपी की हताशा है।”
कांग्रेस का समर्थन, बीजेपी का जवाब
कांग्रेस ने बघेल के समर्थन में ट्वीट कर कहा कि “पार्टी किसी भी झूठे केस से नहीं डरती।” वहीं, बीजेपी नेता संदीप पाठक ने जवाब दिया, “अगर कांग्रेस नेताओं के हाथ साफ हैं, तो छापे से डर क्यों? सीबीआई स्वतंत्र रूप से काम कर रही है।”
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह मामला 2024 लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र और छत्तीसगढ़ की विश्वनाथ सरकार के बीच तनाव को उजागर करता है। बघेल पर छापे का समय मोदी की रैली से ठीक पहले होना सवाल खड़े कर रहा है।
सवाल यह है: क्या सीबीआई की यह कार्रवाई वास्तव में निष्पक्ष जांच का हिस्सा है, या फिर यह बीजेपी द्वारा विपक्ष को निशाना बनाने की रणनीति है? जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक हमले और जवाबी हमले तेज होने की उम्मीद है।