
बांग्लादेशी नागरिकों को किराए पर मकान और फर्जी दस्तावेज दिलाने में की मदद, पुलिस कर रही नेटवर्क की परतें उजागर
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में अवैध घुसपैठियों और उनके नेटवर्क पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। भिलाई में बांग्लादेशी नागरिकों को पनाह देने और उनकी पहचान छिपाने में मदद करने वाला एक बड़ा चेहरा सामने आया है। निगरानी बदमाश हरेराम प्रसाद की गिरफ्तारी से एक संगठित रैकेट की आशंका गहराने लगी है।
भिलाई। दुर्ग पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) इन दिनों जिले में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों और उनके मददगारों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। इस कड़ी में भिलाई के सुपेला क्षेत्र से हरेराम प्रसाद नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जो बांग्लादेशी नागरिकों को न सिर्फ किराए पर मकान दे रहा था, बल्कि उनके फर्जी दस्तावेज बनवाने में भी सहयोग कर रहा था।
20 मई को STF की कार्रवाई में गिरफ्तार हरेराम पहले से ही पुलिस रिकॉर्ड में सुपेला थाना का निगरानी गुंडा है। पूछताछ में उसने स्वीकार किया है कि वह बांग्लादेशी नागरिकों से मकान का किराया वसूलता था और उन्हें यहां बसाने में मदद करता था। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि हरेराम ने किन लोगों की मदद से इन घुसपैठियों के दस्तावेज तैयार करवाए।
STF ने इससे पहले 16 मई को दो बांग्लादेशी नागरिकों – शहीदा खातुन उर्फ ज्योति रासेल और मोहम्मद रासेल शेख – को गिरफ्तार किया था। इन दोनों के पास से फर्जी दस्तावेज मिले थे, जो स्थानीय स्तर पर तैयार कराए गए थे।
पुलिस की मानें तो हरेराम की गिरफ्तारी महज शुरुआत है। जांच के दायरे में अब वे सभी लोग आ चुके हैं जिन्होंने किसी भी तरह से बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में बसाने, पहचान बदलने या दस्तावेज दिलाने में मदद की है।
ऐसा ही एक मामला रायपुर के टिकरापारा इलाके में भी सामने आया था, जहां ATS और टिकरापारा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में तीन बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया था। उस केस में दस्तावेज तैयार करने वाले कंप्यूटर सेंटर के संचालक मोहम्मद आरिफ को भी गिरफ्तार किया गया था, जबकि एक अन्य आरोपी अब भी फरार है।
पुलिस अब इन सभी मामलों की कड़ियाँ जोड़ने में जुटी है और माना जा रहा है कि यह एक बड़ा अंतरराज्यीय रैकेट हो सकता है, जिसमें स्थानीय सहयोगियों की अहम भूमिका रही है।