
ट्रम्प प्रशासन चाहता है कृषि और डेयरी पर रियायत; भारत ने जताई चिंता, 26% टैरिफ दोबारा लागू होने का खतरा, वार्ता अंतिम दौर में
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संकेत दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक बड़ा व्यापार समझौता हो सकता है। ट्रम्प ने कहा कि यह डील दोनों देशों के लिए प्रतिस्पर्धा के नए अवसर खोलेगी और टैरिफ को काफी हद तक कम किया जाएगा। इस डील को 9 जुलाई से पहले अंतिम रूप देने की कोशिश की जा रही है, ताकि भारत पर फिर से भारी टैरिफ न लगे।
वाशिंगटन (ए)। अमेरिकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि भारत के साथ व्यापार समझौता जल्द ही हो सकता है, जो दोनों देशों के लिए ‘कम टैरिफ’ और ‘बेहतर प्रतिस्पर्धा’ की राह खोलेगा। ट्रम्प ने दावा किया कि भारत अब अमेरिकी कंपनियों को अपने बाजार में आने का अवसर देगा। “यह एक अलग तरह की डील होगी, जिसमें हम भारत में प्रवेश कर सकेंगे और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे,” ट्रम्प ने कहा।
इस समय भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर वॉशिंगटन में बातचीत का दौर जारी है। वार्ता का मकसद 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले एक अंतरिम समझौते पर पहुंचना है। अगर डील नहीं हुई, तो भारत पर 26% टैरिफ फिर से लागू हो सकता है।
2 अप्रैल को ट्रम्प प्रशासन ने 100 से ज्यादा देशों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया था, जिसमें भारत पर भी 26% शुल्क लगाया गया था। लेकिन 9 अप्रैल को इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया। ट्रम्प ने साफ किया कि ये समय भारत जैसे देशों को फैसले लेने के लिए दिया गया है। यदि बातचीत नाकाम रही, तो 26% टैरिफ तत्काल प्रभाव से दोबारा लागू होगा, जिससे भारत के कई प्रमुख उत्पादों की अमेरिका में बिक्री पर असर पड़ेगा।
अमेरिका भारत से कृषि, डेयरी और मेडिकल उपकरणों पर शुल्क में छूट की मांग कर रहा है। वहीं भारत ने स्पष्ट किया है कि यदि बहुत अधिक छूट दी गई, तो इसका असर देश की खाद्य सुरक्षा और घरेलू किसानों पर पड़ेगा। भारत ने डेटा लोकलाइजेशन, जीएम फसलों और चिकित्सा उपकरणों पर भी सख्त रुख अपनाया है। भारतीय वार्ताकार राजेश अग्रवाल की अगुआई में प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन में डटा हुआ है। वार्ता से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, समझौते का उद्देश्य 2030 तक भारत-अमेरिका व्यापार को मौजूदा 190 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार सहयोग से दोनों देश वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भागीदार बन सकते हैं। इस डील के जरिए भारतीय कंपनियों को अमेरिका में बड़ी पहुंच मिलने की संभावना है, वहीं अमेरिकी कंपनियां भी भारतीय बाजार में गहराई से उतर सकेंगी।