
सात साल की उम्र में बढ़ा बीपी, युवावस्था में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 50% तक बढ़ाता है
हाई ब्लड प्रेशर केवल बड़ों की नहीं, बच्चों की भी गंभीर समस्या है। सात साल की उम्र में भी यदि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो, तो यह भविष्य में दिल की बीमारियों और समय से पहले मौत की चेतावनी हो सकता है। एक ऐतिहासिक शोध ने इस खतरे को साफ-साफ उजागर किया है।
हेल्थ डेस्क। नई रिसर्च ने यह धारणा तोड़ दी है कि ब्लड प्रेशर सिर्फ उम्र बढ़ने के बाद की बीमारी है। जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, जिन बच्चों का ब्लड प्रेशर सात साल की उम्र में ही सामान्य से ऊपर पाया गया, उन्हें युवावस्था और मध्यम आयु में दिल का दौरा या स्ट्रोक से मरने का खतरा 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा रहा।
यह अध्ययन 1959 से 1965 के बीच 38 हजार से अधिक बच्चों पर किया गया और उनकी सेहत को 2016 तक ट्रैक किया गया। नतीजों ने यह भी साबित किया कि केवल जेनेटिक्स या पारिवारिक आदतें ही नहीं, बल्कि बचपन का ब्लड प्रेशर खुद भविष्य की सेहत का निर्धारण करता है।
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में हाई बीपी अक्सर बिना किसी लक्षण के होता है और नियमित जांच के बिना पकड़ में नहीं आता। यही कारण है कि अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने तीन साल की उम्र से हर साल ब्लड प्रेशर जांच कराने की सलाह दी है।
प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एलेक्सा फ्रीडमैन का मानना है कि हृदय रोग की रोकथाम केवल वयस्कों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसकी नींव बचपन में ही रखी जाती है। इसलिए बच्चों में कम नमक वाला संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, अच्छी नींद और तनावमुक्त जीवन जैसी आदतें डालना बेहद जरूरी है।