
शहीदी सप्ताह से पहले नक्सलियों की बुकलेट में बड़ा खुलासा; संगठन ने मारे गए 357 लड़ाकों की संख्या सार्वजनिक की, कमजोर होती पीएलजीए ताकत भी मानी
देशभर में नक्सल गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। शहीदी सप्ताह से पहले माओवादियों की केंद्रीय कमेटी ने एक बुकलेट जारी कर यह स्वीकारा है कि वर्ष 2024-25 में उन्हें अभूतपूर्व नुकसान उठाना पड़ा। बुकलेट में बताया गया है कि इस दौरान 357 नक्सली मारे गए, जिनमें अकेले 281 की मौत दंडकारण्य क्षेत्र में हुई।
रायपुर, 16 जुलाई। हर साल की तरह इस वर्ष भी 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाने की तैयारी कर रहे माओवादियों ने एक बुकलेट जारी कर अपनी कमजोर होती ताकत और बढ़ते नुकसान को सार्वजनिक किया है।
इस दस्तावेज़ में नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने माना है कि पिछले 12 महीनों में देशभर में उनके 357 लड़ाके मारे गए, जिनमें से सबसे ज्यादा 281 दंडकारण्य क्षेत्र में ढेर किए गए।
बात सिर्फ मौतों की संख्या तक सीमित नहीं है। बुकलेट में कहा गया है कि सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और रणनीतिक घेराबंदी से संगठन को भारी नुकसान हुआ है।
नक्सलियों ने यह भी खुलासा किया कि इनमें से 269 माओवादी सीधे मुठभेड़ों में मारे गए, जबकि पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के सिर्फ 17 बटालियन सदस्य मारे गए। यह आंकड़े यह इशारा करते हैं कि संगठन की सशस्त्र शाखा की प्रभावशीलता लगातार घट रही है। इस बुकलेट में पंजाब और पश्चिमी घाट जैसे नए क्षेत्रों में मारे गए नक्सलियों का उल्लेख भी किया गया है, जो दर्शाता है कि संगठन का नेटवर्क अब पहले की तरह व्यापक और मजबूत नहीं रहा। नक्सल संगठन के लिए यह वर्ष सबसे बड़ा झटका साबित हुआ है।
- 4 केंद्रीय समिति सदस्य (जिसमें महासचिव बसवा राजू भी शामिल)
- 16 राज्य स्तरीय नेता
- 23 जिला स्तरीय नेता
- 83 एरिया कमांडर
- 138 पार्टी सदस्य और 17 PLGA अधिकारी मारे गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बुकलेट सुरक्षा बलों की रणनीतिक सफलता और इंटेलिजेंस आधारित ऑपरेशनों का परिणाम है, जिसमें संगठन की कमर तोड़ दी गई है।