
अमेरिका का आरोप: “ईरान को गुप्त आपूर्ति से आतंकवाद को बढ़ावा, परमाणु कार्यक्रम को मिला वित्तीय ईंधन”
वाशिंगटन/नई दिल्ली (ए)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ गुप्त तेल व पेट्रोकेमिकल व्यापार में शामिल दुनिया भर की 24 कंपनियों पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। इनमें छह भारतीय कंपनियाँ भी शामिल हैं, जिन पर ईरान से करोड़ों डॉलर के अवैध सौदे करने का आरोप है।
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, भारत के अलावा चीन (7), यूएई (6), हॉन्गकॉन्ग (3), तुर्की और रूस (प्रत्येक 1) की कंपनियाँ भी प्रतिबंध सूची में शामिल हैं। अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड पर 2024 में ईरान से 84 मिलियन डॉलर (≈700 करोड़ रुपये) के पेट्रोकेमिकल उत्पाद आयात करने का आरोप। ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड ने जुलाई 2024 से जनवरी 2025 के बीच 51 मिलियन डॉलर (≈425 करोड़ रुपये) की ईरानी मेथनॉल खरीदी।
कथित तौर पर इन कंपनियों ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के माध्यम से ईरान से 1000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रतिबंधित रसायन खरीदे। अमेरिका के अनुसार, इस धन का उपयोग ईरान द्वारा परमाणु कार्यक्रम एवं हिज़बुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों को वित्तपोषित करने में किया गया।
यह कार्रवाई ईरान पर अमेरिका की सख्त नीति का हिस्सा है। विदेश विभाग ने जोर देकर कहा कि ईरान तेल व्यापार से प्राप्त आय से मध्य पूर्व में अशांति फैला रहा है। ईरान पर 2018 से प्रतिबंध लागू हैं, जो दुनिया के चौथे सबसे बड़े तेल भंडार वाले देश की अर्थव्यवस्था को निशाना बनाते हैं।
- प्रतिबंधित कंपनियों की अमेरिका में सभी संपत्तियाँ जमा कर दी गईं।
- अमेरिकी नागरिकों या संस्थाओं को इनके साथ किसी भी प्रकार का लेनदेन करने पर प्रतिबंध।
- इन कंपनियों की 50% से अधिक हिस्सेदारी वाली अन्य इकाइयाँ भी दंड के दायरे में।
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई “सजा के बजाय व्यवहार परिवर्तन” के उद्देश्य से की गई है। प्रतिबंधित कंपनियाँ विभाग से प्रतिबंध हटाने के लिए अपील कर सकती हैं। अब तक भारत सरकार या प्रभावित कंपनियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। जानकारों का मानना है कि इस कदम से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर पड़ सकता है।