
भुइयां ऐप के जरिए सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर; 2 पटवारी निलंबित, 18 का तबादला; डिप्टी सीएम बोले—इंच भर जमीन की भी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं
छत्तीसगढ़ के दुर्ग-भिलाई में जमीन घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें भू-माफियाओं ने पटवारी की आईडी हैक कर 765 एकड़ सरकारी और निजी जमीन अपने कब्जे में ले ली। फर्जी खसरा नंबर बनाकर इन जमीनों को बैंक में गिरवी रख करोड़ों का लोन भी लिया गया। मामले के खुलासे के बाद प्रशासन ने 2 पटवारियों को निलंबित कर 18 का तबादला कर दिया है।
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग-भिलाई में जमीन से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। भू-माफियाओं ने भुइयां ऐप से पटवारी की लॉगिन आईडी हैक कर 765 एकड़ से ज्यादा सरकारी और निजी जमीन का रिकॉर्ड बदल डाला। यह हैकिंग करीब डेढ़ महीने पहले हुई, लेकिन अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
घोटाला मुरमुंदा पटवारी हल्का के चार गांवों में हुआ—मुरमुंदा, अछोटी, चेटुवा और बोरसी। इनमें सरकारी और निजी जमीन के कई खसरा नंबर फर्जी तरीके से अलग-अलग नामों में दर्ज कराए गए। इसके बाद इन जमीनों को बैंक में गिरवी रखकर लाखों का लोन लिया गया। 25 जून को एसबीआई नंदनी टाउनशिप ब्रांच से 46 लाख और 2 जुलाई को कुम्हारी ब्रांच से 36 लाख का लोन पास कराया गया।
कमिश्नर सत्यनारायण राठौर के मुताबिक, एसडीएम ने धारा 115/16 के तहत मामला दर्ज कर गड़बड़ी को सुधारा है और एनआईसी से तकनीकी जांच कराई जा रही है। दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने चेतावनी देते हुए कहा—”765 एकड़ नहीं, 765 इंच जमीन की भी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं होगी। चाहे कोई भी हो, कार्रवाई होगी।” इस घोटाले में पाटन के पटवारी मनोज नायक और अहिवारा के पटवारी कृष्ण कुमार सिन्हा की आईडी से हेरफेर का पता चला, जिसके चलते दोनों को निलंबित और 18 पटवारियों का तबादला कर दिया गया है।
साइबर एक्सपर्ट डॉ. संकल्प रॉय ने कहा कि सरकारी वेबसाइटों और अधिकारियों की आईडी-पासवर्ड हैक होना संभव है, यदि डिजिटल सुरक्षा के नियमों का पालन न किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी तरह के रिकॉर्ड बदलाव की तुरंत आईटी विभाग को सूचना देना जरूरी है, अन्यथा यह लापरवाही भारी पड़ सकती है।