
नईदिल्ली(ए)। सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों में भूस्खलन और बाढ़ को लेकर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने आपदाओं का संज्ञान लेकर इन मामलों में केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। साथ ही SC ने दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले में सुनवाई की। पीठ ने कहा कि बाढ़ के पानी में तैरती हुई बड़ी संख्या में लकड़ियां यह दर्शाती हैं कि पहाड़ियों के ऊपरी इलाकों में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की गई है।
‘बेहद गंभीर मामला है’
जस्टिस बीआर गवई ने मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। प्रथम दृष्टया इससे पहाड़ों में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का संकेत मिलता है। संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें और इसके कारणों का पता लगाएं।
मेहता ने दिया आश्वासन
वहीं इस पर तुषार मेहता ने मुद्दे की गंभीरता को स्वीकारा और कहा कि वह विस्तृत जानकारी जुटाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से संपर्क करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतना अधिक हस्तक्षेप किया है कि अब वह हमें ही लौटा रही है।” इस पर मुख्य न्यायाधीश ने भी उनसे सहमति जताई।
किन-किन को जारी किया नोटिस
पीठ ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के साथ हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
वकील ने रिपोर्ट का दिया हवाला
कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि चंडीगढ़ और मनाली के बीच 14 सुरंगे है। जो कि बारिश के समय भूस्खलन होने से मौत का जाल बन जाती है। साथ ही वकील ने एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया जिसमें बताया गया कि एक सुरंग में 300 लोग फंस गए।