
शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. इस दिन देशभर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विधि-विधान से करने पर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. शिवरात्रि के दिन प्रदोष काल में और रात के चार प्रहर में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा किस विधि से करनी चाहिए.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत में बताया कि हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 26 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा अवश्य करनी चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर उनके प्रिय पुष्प और भोग अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस दिन रात्रि जागरण की भी परंपरा है. रात के चार प्रहर में भगवान शिव की पूजा करने से सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं.
पूजा की विधि
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा षोडशोपचार विधि से करनी चाहिए. इस विधि में देवी-देवताओं को 16 वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. सबसे पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव का आह्वान करें. फिर भगवान शिव को आसन दें, उनके चरणों को गंगाजल से धोएं, और उनके सिर पर जल अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें, फिर दूध, दही, घी, मधु, और शक्कर अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव को वस्त्र, चंदन का लेप, अक्षत, पुष्प, बेलपत्र और नैवेद्य अर्पित करें.