
411 करोड़ की दवा और उपकरण खरीदी में घोटाला, टेंडर प्रक्रिया में मिलीभगत का आरोप
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने CGMSC (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड) के 411 करोड़ रुपए के घोटाले में शामिल चार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि ACB-EOW की प्रारंभिक जांच में इनकी भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आई है, इसलिए अभी जमानत नहीं दी जा सकती।
ACB-EOW ने मोक्षित कॉर्पोरेशन, रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कार्पोरेशन के खिलाफ FIR दर्ज की है। आरोप है कि 2021 में मेडिकल उपकरणों और दवाओं की खरीद में बिना सही आकलन के 411 करोड़ रुपए की खरीदी कर दी गई। इन उपकरणों और रीएजेंट को स्वास्थ्य केंद्रों में बिना उचित भंडारण व्यवस्था के भेज दिया गया।
टेंडर में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
जांच में सामने आया कि टेंडर प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हुईं। कई कंपनियों ने मिलीभगत कर एक जैसी शर्तों पर निविदा डाली, जिससे प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई। EDTA ट्यूब को 2352 रुपए प्रति नग में खरीदा गया, जबकि अन्य संस्थान इसे मात्र 8.50 रुपए में खरीद रहे थे।
गिरफ्तारियां और जमानत याचिका पर सुनवाई
ACB-EOW ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया है। इसके बाद अविनेश कुमार, राजेश गुप्ता, अभिषेक कौशल और नीरज गुप्ता ने संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि घोटाले में इनकी संलिप्तता प्रथम दृष्टया स्पष्ट है, और जांच अभी शुरुआती चरण में है। यह घोटाला छत्तीसगढ़ में सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है, जिसकी ACB-EOW गहराई से जांच कर रही है।