
रायपुर-बिलासपुर में सामूहिक विवाह की धूम, सराफा बाजार में खरीदारों की भीड़, शुभ कार्यों की शुरुआत
छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया का पर्व धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक रंगों से सजा नजर आ रहा है। इस दिन को शुभ कार्यों की शुरुआत और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। राजधानी रायपुर से लेकर रतनपुर तक सामूहिक विवाह, सराफा कारोबार और लोक परंपराओं की छटा बिखर रही है।
रायपुर। अक्षय तृतीया का पर्व छत्तीसगढ़ में पारंपरिक उल्लास और सामाजिक समरसता के साथ मनाया जा रहा है। इसे स्थानीय भाषा में ‘अक्ती तिहार’ कहा जाता है। इस अवसर पर शुभ कार्यों की शुरुआत होती है और विवाह जैसे मांगलिक कार्य भी बिना मुहूर्त देखे संपन्न किए जाते हैं।
प्रदेशभर के चौक-चौराहों पर मिट्टी से बने पारंपरिक गुड्डे-गुड़ियों की दुकानों ने उत्सव का रंग और भी गाढ़ा कर दिया है। उनके लिए पोशाकें, माला और विवाह मंडप के सजावटी सामान खूब बिक रहे हैं। सराफा बाजारों में भी खरीददारों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है, और कारोबारियों को लगभग 200 करोड़ रुपये के व्यापार की उम्मीद है।
रायपुर के कांदुल में हरदिहा साहू समाज की ओर से 58 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया जा रहा है। वहीं, बिलासपुर के रतनपुर में महामाया मंदिर ट्रस्ट द्वारा 121 जोड़ों का विवाह संपन्न कराया जा रहा है। नवविवाहित जोड़ों को ट्रस्ट की ओर से उपहार स्वरूप आभूषण, वस्त्र और आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार, अक्षय तृतीया का दिन बिना मुहूर्त के शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, तर्पण, पेड़-पौधों व कृषि औजारों की पूजा जैसे कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं निभाई जाती हैं।
सराफा कारोबारी भी इस पर्व को लाभकारी मानते हैं। रायपुर सराफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू ने बताया कि ग्राहकों ने सोने-चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद बड़ी संख्या में खरीदारी की है और एडवांस बुकिंग भी कराई है। दीपावली के धनतेरस की तरह अक्षय तृतीया भी कारोबार के लिहाज से खास दिन बन गया है।