
अब सिविल जज की परीक्षा देने के लिए 3 साल की वकालत अनिवार्य; बार काउंसिल में पंजीयन भी जरूरी
देश की न्यायिक सेवा में अब वकालत का अनुभव अनिवार्य कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में साफ किया कि सिविल जज की परीक्षा में शामिल होने के लिए अभ्यर्थी को कम से कम तीन साल का वकालत का अनुभव होना चाहिए। इस बदलाव से बड़ी संख्या में नए कानून स्नातक प्रतियोगिता से बाहर हो जाएंगे।
रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सेवाओं से जुड़ी भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए सिविल जज के पदों पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम तीन साल की वकालत का अनुभव अनिवार्य कर दिया है। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई में तीन सदस्यीय बेंच ने 63 पन्नों के विस्तृत फैसले में यह स्पष्ट किया कि अब बार काउंसिल में पंजीयन और अदालतों में कम से कम तीन साल की प्रैक्टिस न्यायाधीश बनने के लिए जरूरी होगी।
इस फैसले का प्रभाव सीधा उन युवा विधि स्नातकों पर पड़ेगा जो सीधे कॉलेज से निकलकर न्यायिक परीक्षा की तैयारी में लग जाते थे। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बदलाव से करीब 40% अभ्यर्थी अब इस प्रतियोगिता से बाहर हो जाएंगे।
यह निर्णय एक जनहित याचिका के संदर्भ में आया, जिसमें जबलपुर निवासी एक कानून स्नातक विनीता यादव ने याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया कि वे छत्तीसगढ़ पीएससी की सिविल जज परीक्षा-2024 में शामिल होना चाहती हैं, लेकिन सरकारी नौकरी में होने के कारण वे बार काउंसिल में पंजीयन नहीं करवा सकतीं।
विवाद तब खड़ा हुआ जब राज्य सरकार ने 5 जुलाई 2024 को एक अधिसूचना जारी कर सिविल जज परीक्षा के लिए बार काउंसिल पंजीयन अनिवार्य कर दिया। इसके आधार पर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) ने 23 दिसंबर 2024 को परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया, जिसमें कुल 57 पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे।
सुनील ओटवानी, स्टेट बार काउंसिल के एग्जीक्यूटिव मेंबर का कहना है कि—
“यह संशोधन उतना ही जरूरी था जितना डॉक्टर या सीए के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है। अब हमें समाज और कानून दोनों की समझ रखने वाले जज मिलेंगे।”
रामनारायण व्यास, पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता संघ बोले—
“यह फैसला न्याय प्रणाली को परिपक्व बनाएगा। बिना कोर्ट का अनुभव लिए कोई भी व्यक्ति न्यायिक कुर्सी पर कैसे बैठे, यह मूल प्रश्न अब सुलझ गया है।”
विवेक रंजन तिवारी, पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ बार काउंसिल ने कहा—
“अब हमें ऐसे न्यायाधीश मिलेंगे जो वकालत की गहराई समझते हैं और हर केस की जमीनी हकीकत से वाकिफ होंगे।”
क्या बदलेगा इस फैसले के बाद:
- प्रतियोगिता घटेगी, केवल अनुभव वाले उम्मीदवार ही पात्र होंगे
- विधि स्नातकों को अब पहले बार में रजिस्ट्रेशन कर 3 साल वकालत करनी होगी
- जज बनने की प्रक्रिया अब अधिक व्यावहारिक और जमीनी अनुभव आधारित होगी
- न्यायिक प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद