
जम्मू कश्मीर (ए)। हाल के दिनों में हिमालयी क्षेत्रों में बादल फटने (क्लाउडबर्स्ट) की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है. उत्तराखंड के धराली से लेकर हिमाचल के मंडी और जम्मू-कश्मीर के कठुआ-किश्तवाड़ तक लोग प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे हैं. आइए समझते हैं कि आखिर बादल फटते क्यों हैं? इन इलाकों में क्या-क्या हुआ?
बादल फटना एक ऐसी घटना है जिसमें बहुत कम समय में, छोटे क्षेत्र में (कुछ किलोमीटर में) 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है. वैज्ञानिक कहते हैं कि जब नमी से भरे गर्म बादल पहाड़ों से टकराते हैं, तो वे ऊपर उठकर ठंडे हो जाते हैं. अचानक सारा पानी एक साथ गिर जाता है. यह पानी इतना तेज बहता है कि मिट्टी, पत्थर और घरों को बहा ले जाता है, जिससे फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) आती है.
हिमालय जैसे ऊंचे पहाड़ बादलों को रोक देते हैं. जब नमी वाली हवाएं इनसे टकराती हैं, तो बारिश बनती है. पहाड़ों की ढलान होने से पानी तेजी से नीचे आता है.गर्मी बढ़ने से बादलों में नमी ज्यादा जमा होती है, जो फटने का कारण बनती है. पेड़ों की कटाई से मिट्टी कमजोर हो गई है, जो मलबे के साथ बहती है. सड़क निर्माण और बस्तियों का अंधाधुंध विस्तार पानी के प्राकृतिक बहाव को बाधित करता है. गर्म और ठंडी हवाओं का मिलना भी बादल फटने को बढ़ाता है समाचार की हेडिंग चेंज करना है समाचार की सब हेडिंग बनाना है समाचार का इंट्रो बनाना है समाचार को नये तरीके से नये शब्दों को जोड़कर बनाना है नये तरीके से