
बिलासपुर . बिलासपुर पुलिस ने एक बड़े साइबर फ्रॉड नेटवर्क का खुलासा किया है, जिसमें 15 म्यूल खाताधारक समेत 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इन आरोपियों ने फर्जी बैंक खातों के जरिए 3 करोड़ रुपए का अवैध लेन-देन किया। इनमें से 97 लाख रुपए ठगों के पास पहुंच चुके थे, जिसे होल्ड कर दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि गिरफ्तार आरोपियों में कोटक, महिंद्रा बैंक और एक्सिस बैंक के कर्मचारी भी शामिल हैं, जो साइबर अपराधियों के साथ मिलकर साइबर फ्रॉड को अंजाम देते थे। इसमें एक पीओएस एजेंट भी शामिल है, जो फर्जी सिम कार्ड बेचने का काम करता था। एडिशनल एसपी राजेंद्र जायसवाल ने बताया कि इस गिरोह के सदस्य ऑनलाइन लोन, केवाईसी अपडेट, नौकरी और शेयर ट्रेडिंग का झांसा देकर लोगों से ठगी करते थे। यह नेटवर्क दिल्ली और अलवर तक फैला हुआ था। पुलिस जांच में 300 से ज्यादा फर्जी बैंक अकाउंट और सिम कार्ड का पता चला है।
इन साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला की मॉनिटरिंग में ऑपरेशन चलाया गया, जिसमें 10 टीमों ने 20 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। रेंज साइबर थाना बिलासपुर और एसीसीयू टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए फर्जी बैंक खातों को सीज किया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सत्यनारायण पटेल, राकेश भेड़पाल, दुर्गेश केंवट, शिवशंकर यादव, राजकुमार पाल, नंदकुमार केंवट, दीपेश कुमार निर्मलकर, सुरेश सिंह, शेखर चतुर्थी, रोशन कुमार साहू, कुनाल मंडावी, प्रथम सोनी, दिपांशु साहू, अमन तिवारी, रामलाल यादव, अमित पाल, अब्दुल रसीद, मुख्तार खान, गुज्जला जगदीश कुमार बिलासपुर शामिल है। ये सभी बिलासपुर, बलौदाबाजार, सक्ती और आसपास के क्षेत्रों से हैं।
पुलिस ने अपनी प्रारंभिक जांच में नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर संदिग्ध पाए गए बैंक खातों की पहचान की और म्यूल बैंक अकाउंट की जांच की। जांच के दौरान पीड़ितों से संपर्क कर घटना के संबंध में जानकारी एकत्र की गई। इसके बाद मनी म्यूल बैंक अकाउंट्स और फर्जी सिम कार्ड बेचने वाले पीओएस एजेंट के जरिए आरोपियों तक पहुंच बनाई गई। एडिशनल एसपी राजेंद्र जायसवाल ने बताया कि आरोपी के खातों में लगभग 97 लाख रुपए होल्ड किए गए हैं, जो विभिन्न राज्यों के पीड़ितों के हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस पीड़ितों से संपर्क कर उनकी रकम वापस दिलाएगी। पुलिस की इस सफलता के लिए आईजी और एसपी ने टीम का हौसला बढ़ाने के लिए इनाम की घोषणा की है। मनी म्यूल वह व्यक्ति होता है, जिसके बैंक अकाउंट, डिजिटल वॉलेट या अन्य वित्तीय माध्यमों का उपयोग साइबर अपराधी ठगी की रकम या अवैध धन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर करने के लिए करते हैं।
साइबर अपराधी मनी म्यूल का इस्तेमाल ठगी की रकम को छिपाने के लिए करते हैं। वे किसी व्यक्ति को नौकरी, इनाम या निवेश का लालच देकर उसे अपने जाल में फंसा लेते हैं। मनी म्यूल अपनी अकाउंट से अवैध धन को दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर करता है, जिससे अपराधियों की पहचान छिपी रहती है। अगर आप मनी म्यूल बन जाते हैं, तो आपको मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप का सामना करना पड़ सकता है। आपके बैंक खाते और संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है, और आप पर जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है, भले ही आपने अनजाने में यह अपराध किया हो। धारा 3(5) बी.एन.एस. के तहत मनी म्यूल भी मुख्य अपराधी के बराबर जिम्मेदार माना जाएगा।