
मोटापे और डायबिटीज के इलाज में मददगार, ग्लोबल ट्रायल्स में असरदार साबित; जानिए इसके फायदे, कीमत और साइड इफेक्ट्स
भारत में वजन घटाने के विकल्पों की सूची में अब एक नया नाम जुड़ गया है — मौन्जारो। यह वेट-लॉस और टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए तैयार की गई नई दवा अब देश में उपलब्ध है। अमेरिकी कंपनी द्वारा विकसित यह दवा न सिर्फ वजन घटाने में मदद करती है, बल्कि ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करती है। हालांकि, विशेषज्ञ इसके संभावित दुष्प्रभावों को लेकर भी सचेत कर रहे हैं। आइए जानते हैं यह दवा कैसे काम करती है, इसकी कीमत क्या है और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
भारत में मोटापे के बढ़ते मामलों के बीच मौन्जारो नाम की नई वेट-लॉस ड्रग को स्वास्थ्य नियामक संस्था से मंजूरी मिल गई है। इसे अमेरिका की दवा कंपनी एली लिली एंड कंपनी ने विकसित किया है। मौन्जारो इंजेक्शन टाइप-2 डायबिटीज और वजन नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। डाइटीशियन विशेषज्ञों के अनुसार, मौन्जारो शरीर में GLP-1 और GIP हार्मोन की कृत्रिम प्रतिकृति है, जो इंसुलिन बढ़ाने और भूख कम करने में सहायक होते हैं। यही कारण है कि इस दवा से भूख कम लगती है और वजन घटाने की प्रक्रिया तेज होती है।
क्लिनिकल ट्रायल में सकारात्मक परिणाम
मौन्जारो पर किए गए अंतरराष्ट्रीय शोध बताते हैं कि यह न सिर्फ वजन कम करता है, बल्कि ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करता है। एक अध्ययन में 72 हफ्तों में वजन में महत्वपूर्ण कमी देखी गई। वहीं डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों में ब्लड शुगर लेवल 2.4% तक घटा।
कीमत और डोजिंग
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2.5 mg की कीमत: ₹3,500 प्रति इंजेक्शन
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5 mg की कीमत: ₹4,375 प्रति इंजेक्शन
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मासिक खर्च (प्रारंभिक डोज): ₹14,000 (साप्ताहिक 1 इंजेक्शन)
सावधानियां और संभावित साइड इफेक्ट्स
मौन्जारो लेने से कुछ सामान्य समस्याएं जैसे मतली, कब्ज, थकान, सिरदर्द और अपच हो सकती हैं। लंबे समय तक उपयोग से मेटाबॉलिज्म पर असर पड़ सकता है, जिससे पाचन प्रक्रिया धीमी हो सकती है। विशेषज्ञों की राय है कि इस तरह की दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की निगरानी में ही किया जाना चाहिए।
जरूरी सवाल-जवाब
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किसके लिए है मौन्जारो?
टाइप-2 डायबिटीज और मोटापे से जूझ रहे वयस्कों के लिए। -
क्या यह पूरी तरह सुरक्षित है?
अंतरराष्ट्रीय शोधों में असरदार पाया गया है, लेकिन व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार डॉक्टर की सलाह आवश्यक है। -
क्या तुरंत असर दिखता है?
नहीं, असर धीरे-धीरे होता है — डाइट और व्यायाम के साथ असर बेहतर होता है।