
बंकरों में शरण लिए ग्रामीण बोले- हम सुरक्षित हैं, सरकार पर है भरोसा
जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में एक बार फिर गोलियों और धमाकों की आवाजें गूंज रही हैं। पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा के पास के 15 सेक्टरों में की गई भारी फायरिंग और रॉकेट हमलों ने गांववालों को बंकरों में छिपने पर मजबूर कर दिया है। हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि लोग महीनेभर का राशन लेकर बंकरों में शरण लिए हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर(ए)। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से लगातार छह रात से नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारी फायरिंग की जा रही है। जम्मू क्षेत्र के सीमावर्ती गांवों में बसे लोग सहमे हुए हैं। बारामूला, कुपवाड़ा, पुंछ और अखनूर जैसे इलाकों सहित 15 सेक्टरों में मोर्टार और रॉकेट दागे गए हैं।
जम्मू के एक सीमावर्ती गांव में रहने वाले मोहम्मद असद को जैसे ही हमले की खबर मिली, उन्होंने तुरंत बंकर की सफाई शुरू कर दी। ये बंकर चार साल पहले सरकार द्वारा बनाए गए थे, जिनका उपयोग अब दोबारा शुरू हो गया है। असद बताते हैं, “बंकर की दीवारें एक फीट मोटी हैं। अगर बम भी गिर जाए, तो हम सुरक्षित हैं।” कृष्णा घाटी से सटे इस गांव की पाकिस्तान से दूरी महज आधा किलोमीटर है। यहां रहने वाले लोग महीनों की तैयारी कर चुके हैं – राशन, पानी और जरूरी सामान लेकर वे बंकरों में रह रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक हालात सामान्य नहीं होते, वे यहीं रहेंगे।
सीजफायर के बाद कुछ समय तक शांति थी और बंकरों का उपयोग भी बंद हो गया था, लेकिन अब नए हालात में इन बंकरों की अहमियत फिर से बढ़ गई है। जगह-जगह बने कम्युनिटी बंकर अब ग्रामीणों की एकमात्र ढाल बन चुके हैं। सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, इन गांवों की सटीक लोकेशन सार्वजनिक नहीं की जा रही है।