
- बीएड धारक शिक्षकों को मिला सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) के पद पर समायोजन
- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने निभाई अभिभावक की भूमिका, शिक्षकों ने जताया आभार
- उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा बोले – “यह फैसला देशभर के लिए बन गया मिसाल”
छत्तीसगढ़ के हजारों बेरोजगार शिक्षकों के जीवन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की संवेदनशील पहल ने नई उम्मीदें जगा दी हैं। राज्य सरकार ने बर्खास्त किए गए 2600 से अधिक बीएड योग्यताधारी सहायक शिक्षकों को फिर से सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित कर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह फैसला न केवल रोजगार की बहाली है, बल्कि प्रदेश में सुशासन और संवेदनशील नेतृत्व की एक मिसाल भी बन गया है।
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने संवेदनशीलता और सुशासन का परिचय देते हुए बर्खास्त बीएड अर्हताधारी 2600 से अधिक सहायक शिक्षकों को फिर से शिक्षा व्यवस्था में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब ये शिक्षक सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) के पद पर नियुक्त किए जाएंगे।
इस फैसले के बाद शिक्षक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर श्री साय को गुलदस्ता और ग़जमाला भेंटकर आभार प्रकट किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने सभी शिक्षकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षक न केवल शिक्षा देते हैं बल्कि राष्ट्र का भविष्य भी गढ़ते हैं। उन्होंने शिक्षकों से निष्ठा और समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने निभाई ‘मुखिया’ की भूमिका
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले दिन से ही शिक्षकों की समस्याओं को गंभीरता से लिया था। “हमने यह तय किया था कि प्रदेश के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने की घोषणा की सराहना
उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि शिक्षकों की बहाली को लेकर मुख्यमंत्री के साथ निरंतर विचार-विमर्श होता रहा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि भले ही सरकार पर आर्थिक भार पड़े, लेकिन युवाओं के भविष्य से समझौता नहीं किया जाएगा। “यह केवल पुनर्नियोजन नहीं, बल्कि सरकार की संवेदनशील सोच और दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतीक है।”
“हमारा भविष्य लौटा”: भावुक शिक्षक
नियुक्त शिक्षकों ने इस फैसले को ‘नए जीवन की शुरुआत’ बताया। उन्होंने कहा कि नौकरी जाने के बाद वे गहरी मानसिक पीड़ा में थे, लेकिन मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता ने उन्हें फिर से आत्मविश्वास दिया। “मुख्यमंत्री ने न सिर्फ वादा निभाया, बल्कि अभिभावक की तरह हमारी चिंता की,” उन्होंने कहा।