
बैसरन घाटी में हुए हमले की जांच में NIA को भारी चुनौती, सोशल मीडिया और फर्जी अलर्ट बना रहे रुकावट
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जांच के बीच पाकिस्तान से लगातार मिल रही भ्रामक सूचनाएं और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहें एजेंसी के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं। फर्जी अलर्ट और गलत सुरागों की वजह से जांच की रफ्तार धीमी हो गई है।
जम्मू-कश्मीर (ए)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जांच में NIA को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हमले में आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर 27 लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं थीं। इस जघन्य वारदात को अब 10 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन हमलावरों का अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है।
जांच में फर्जी सूचनाओं का हस्तक्षेप
खुफिया सूत्रों के अनुसार, जांच को बाधित करने के लिए पाकिस्तान की ओर से लगातार झूठी जानकारी फैलाई जा रही है। अब तक 200 से अधिक फर्जी अलर्ट और सुराग सामने आए हैं, जिनकी सत्यता की जांच में NIA और पुलिस की ऊर्जा और समय दोनों ही बर्बाद हो रहे हैं।
असली जांच में हो रही देरी
इस गलत सूचनाओं के चलते जांच एजेंसी को बैलिस्टिक रिपोर्ट, गवाहों के बयान और 3D मैपिंग जैसे अहम हिस्सों पर काम करने में देरी हो रही है। फॉरेंसिक टीम हमले वाली जगह से बरामद की गई 40 गोलियों की जांच में लगी है, लेकिन फर्जी कॉल्स और अफवाहों के चलते जांच पटरी से उतर रही है।
सोशल मीडिया का नकारात्मक रोल
सूत्रों ने बताया कि कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर माहौल खराब करने में लगे हैं। हाल ही में बिहार के दो युवकों ने श्रीनगर के लाल चौक पर जानबूझकर विवाद पैदा किया। एक अन्य ने सोनमर्ग के वीडियो को पहलगाम बताकर भ्रामक प्रचार किया। वहीं, एक यूट्यूबर ने टैक्सी ड्राइवर का स्टिंग ऑपरेशन कर उसे बदनाम करने की कोशिश की।
इस संवेदनशील मामले में जहां जांच एजेंसियां सच तक पहुंचने के लिए जुटी हैं, वहीं फर्जी सूचनाएं और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहें गंभीर बाधा बन रही हैं। जांच अधिकारियों का मानना है कि अगर यह हस्तक्षेप बंद हो जाए, तो असली दोषियों तक पहुंचना जल्दी संभव होगा।