
SBI ने 31,580 करोड़ रुपए के लोन के दुरुपयोग का आरोप लगाया; रकम अन्य कंपनियों को ट्रांसफर करने और शर्तों के उल्लंघन का मामला
मुंबई में अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़े लगभग 50 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और अनिल अंबानी को ‘फ्रॉड’ घोषित किए जाने के बाद की गई है। बैंक ने 31,580 करोड़ के लोन के कथित दुरुपयोग और फंड डायवर्जन का आरोप लगाया है।
मुंबई। उद्योगपति अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार, 24 जुलाई को मुंबई में उनकी कंपनियों से जुड़े करीब 50 अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह बड़ी कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) और उसके पूर्व डायरेक्टर अनिल अंबानी को ‘फ्रॉड’ घोषित किए जाने के बाद की गई है।
SBI ने 23 जून 2025 को RCom को पत्र जारी कर लोन खाते को फर्जी बताया था। इसके तहत बैंक ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को 24 जून को रिपोर्ट सौंपी। बैंक का आरोप है कि RCom ने 31,580 करोड़ रुपए के लोन का दुरुपयोग किया। इसमें से लगभग 13,667 करोड़ रुपए दूसरी कंपनियों के कर्ज चुकाने में इस्तेमाल हुए, जबकि करीब 12,692 करोड़ रुपए रिलायंस ग्रुप की ही अन्य कंपनियों को ट्रांसफर किए गए। यह बैंकिंग नियमों और लोन शर्तों का उल्लंघन था।
बैंक का कहना है कि वह इस मामले में जल्द ही सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) में औपचारिक शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया में है। इसके अलावा, अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालियापन से संबंधित कार्रवाई भी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में लंबित है।
SBI की फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन कमेटी ने फॉरेंसिक ऑडिट और विस्तृत जांच के बाद पाया कि RCom ने फंड का गलत तरीके से इस्तेमाल किया और फाइनेंशियल ट्रांसपेरेंसी बनाए रखने में गंभीर चूक की। कंपनी पर आरोप है कि उसने लोन की राशि को रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (RTL) और ग्रुप की अन्य कंपनियों में डायवर्ट किया। ED की यह छापेमारी देश की एक चर्चित कॉरपोरेट धोखाधड़ी के मामले में जांच की दिशा को और गंभीर बना सकती है।