
90 करोड़ के लाभ वाले शराब सिंडिकेट का खुलासा; हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी व FIR रद्द करने की सभी मांगें खारिज कीं, दो बार पहले भी हो चुकी है जमानत याचिका खारिज
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी कारोबारी अनवर ढेबर को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने ACB व EOW द्वारा दर्ज FIR और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। सरकार ने अदालत को बताया कि शराब दुकानों से डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर अवैध बिक्री की गई, जिससे राज्य को करोड़ों का नुकसान हुआ और ढेबर की भूमिका उसमें मुख्य थी।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले के आरोपी कारोबारी अनवर ढेबर की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने ACB और EOW की कार्रवाई को अवैधानिक बताते हुए FIR रद्द करने व गिरफ्तारी को रद्द करने की मांग की थी।
याचिका में ढेबर ने दावा किया था कि उन्हें 4 अप्रैल को बिना नोटिस व सूचना के हिरासत में लिया गया, और अगले दिन दोपहर 2 बजे औपचारिक गिरफ्तारी दिखाई गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि न गिरफ्तारी का कारण बताया गया और न ही केस डायरी या अन्य दस्तावेज सौंपे गए, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 व सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के खिलाफ है।
शासन की ओर से पेश तर्कों में बताया गया कि शराब दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची गई, जिससे राज्य को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। इस पूरे सिंडिकेट का संचालन ढेबर के माध्यम से किया गया और उन्हें 90 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आमदनी हुई, जो ED की जांच रिपोर्ट में दर्ज है।
बता दें कि यह घोटाला पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में सामने आया था, जिसमें IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और अनवर ढेबर की भूमिका उजागर हुई थी। अनवर ढेबर रायपुर के पूर्व महापौर के भाई हैं और उन्हें पहले ही ACB गिरफ्तार कर चुकी है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी ध्यान दिलाया कि अनवर की दो जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज हो चुकी हैं, और प्राथमिक जांच में उनकी संलिप्तता स्पष्ट रूप से सामने आई है। इस आधार पर याचिका खारिज कर दी गई।