
7 दिन से इलाज के लिए भटक रही महिला, गले के दर्द से तड़प रही थी; डॉक्टर बोलीं- ये लोग मेंटली स्टेबल नहीं, रेफर करो
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में लापरवाही और अव्यवस्था का बड़ा मामला सामने आया है। खरोरा से अपनी बीमार बहन को इलाज कराने लाया एक युवक तब टूट गया जब सात दिन तक भटकने के बाद भी बहन को उपचार नहीं मिला। हताश भाई ने बहन को जिंदा जलाने और खुद आत्मदाह की धमकी दे दी। इसके बाद ही अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और महिला का इलाज शुरू हुआ।
27 वर्षीय गायत्री बंजारे पिछले एक हफ्ते से अस्पताल के गलियारे में अपने दो साल के बच्चे को गोद में लिए बैठी थी। गले में तेज दर्द और खाने-पीने में असमर्थता के बावजूद डॉक्टरों ने समय पर एंडोस्कोपी नहीं की। डॉक्टरों के बीच कम्युनिकेशन गैप के चलते उसका इलाज अटक गया। इस बीच भाई राजू रात्रे बार-बार गुहार लगाता रहा, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार बुधवार शाम उसने बहन को जलाने की चेतावनी दी, तभी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों ने मामले पर ध्यान दिया।
घटना के दौरान सीनियर डॉक्टर रश्मि अग्रवाल ने जूनियर को यह कहते सुना गया – “दे ऑर नॉट मेंटली स्टेबल, रेफर करो किसी साइकेट्रिक को।” इस पर विवाद और बढ़ गया। बाद में जांच रिपोर्ट देखने पर पता चला कि 31 अगस्त को एंडोस्कोपी की सिफारिश तो हुई थी, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी।
इस घटना ने न केवल मेकाहारा की लचर व्यवस्था को उजागर किया है, बल्कि मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा को भी सामने ला दिया है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने सफाई दी कि डॉक्टर ने गुस्से में यह टिप्पणी की होगी, जानबूझकर नहीं।