
7 मार्च से शुरू होगा होलाष्टक, इन शुभ कार्यों पर रहेगी रोक
नई दिल्ली। फाल्गुन पूर्णिमा पर मनाए जाने वाले होली महोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस साल होलिका दहन 13 मार्च को होगा, जबकि रंगों की होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। होली से 8 दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत होती है, जिसमें कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस साल होलाष्टक 7 मार्च से प्रारंभ होगा।
होलाष्टक का महत्व और धार्मिक मान्यताएं
होलाष्टक का काल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र होती है, जिससे शुभ कार्यों के लिए यह समय अनुकूल नहीं होता। मान्यता है कि इसी दौरान भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था, जिससे यह काल विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
होलाष्टक में वर्जित कार्य
होलाष्टक की अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, नया कारोबार या संपत्ति खरीदना वर्जित माना जाता है। इस दौरान नया मकान बनाना या कोई बड़ा निवेश करना भी शुभ नहीं होता। हालांकि, जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले संस्कारों पर कोई रोक नहीं होती।
होलाष्टक में क्या करें?
भगवान शिव और श्रीकृष्ण की उपासना करें।
हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
ग्रह शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना करें।
पितरों का तर्पण करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
होलिका दहन की तैयारियां होंगी शुरू
होलाष्टक के दिनों में ही संवत और होलिका की प्रतीक लकड़ी या डंडे को गाड़ने की परंपरा है। इस दौरान अलग-अलग दिनों में अलग-अलग चीजों से होली खेली जाती है। होली का पर्व केवल रंगों का नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा, प्रेम और उल्लास का भी प्रतीक है।