
एम्स जैसी स्वास्थ्य सुविधा हर जिले में देने का किया गया था ऐलान, न योजना शुरू हुई, न टेंडर फाइनल — मौजूदा मेडिकल कॉलेज खुद हैं संकट में
राज्य सरकार ने हर जिले में एम्स की तर्ज पर ‘सिम्स’ (छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) खोलने की घोषणा की थी, लेकिन डेढ़ साल बीतने के बाद भी योजना फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी है। नतीजा यह है कि जहां-जहां सुपर स्पेशलिटी अस्पताल हैं, वहां भी सुविधाएं अधूरी हैं और गंभीर मरीजों को अब भी रायपुर रेफर किया जा रहा है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ की जनता से किए गए वादे एक बार फिर फाइलों में ही सिमटकर रह गए हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने संकल्प पत्र में ‘हर जिले में एम्स जैसे सिम्स’ खोलने की बात कही थी, लेकिन सरकार बनने के डेढ़ साल बाद भी इस योजना पर कोई ठोस शुरुआत नहीं हुई है। बिलासपुर और जगदलपुर जैसे शहरों में बन चुके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल या तो अधूरे हैं या पूरी तरह शुरू ही नहीं हो पाए हैं।
बिलासपुर में महज कुछ विभागों की ओपीडी चल रही है, वहीं जगदलपुर में तो अस्पताल को ठेके पर देने की प्रक्रिया भी अधूरी है। टेंडर अब तक फाइनल नहीं हो पाया है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सरकार की प्राथमिकता सूची में स्वास्थ्य व्यवस्था फिलहाल ऊपर नहीं है।
संकल्प पत्र में ‘सिम्स’ की अवधारणा इसलिए लाई गई थी ताकि राज्य के हर जिले में बेहतर इलाज की सुविधा हो और मरीजों को रायपुर तक न जाना पड़े। लेकिन पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है कि मेडिकल कॉलेजों की वर्तमान स्थिति ही चिंताजनक है।
राज्य के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से अधिकांश में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। रायपुर का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज भले ही प्रदेश का सबसे बड़ा संस्थान है, लेकिन यहां भी लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट जैसी उन्नत सुविधाएं नहीं हैं। जगदलपुर, कांकेर, राजनांदगांव, महासमुंद, कोरबा और रायगढ़ जैसे कॉलेजों में न तो सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं, न ही ट्रॉमा सेंटर जैसी आपात सुविधाएं।
बिलासपुर के सिम्स को दूसरा बड़ा संस्थान माना जाता है, लेकिन वहां से भी गंभीर मरीजों को रायपुर रेफर करना आम बात है। नए कॉलेजों जैसे दुर्ग और अंबिकापुर की इमारतें तो आधुनिक हैं, लेकिन डॉक्टरों और विशेषज्ञों की भारी कमी के कारण इलाज में गुणवत्ता नहीं दिखती।
असल सवाल यह है कि यदि मौजूदा कॉलेजों की हालत ही इतनी दयनीय है तो हर जिले में सिम्स खोलने की महत्वाकांक्षी योजना कैसे साकार होगी? देशभर में डॉक्टरों की कमी एक बड़ा संकट है। यूजी और पीजी सीटें बढ़ाई जा रही हैं, लेकिन क्वालिटी एजुकेशन और स्टाफिंग को प्राथमिकता दिए बिना कोई भी योजना सिर्फ घोषणाओं तक ही सीमित रहेगी।