
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शुरू की युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया, बेकार पड़े स्कूलों से हटेंगे शिक्षक, जरूरतमंद क्षेत्रों को मिलेगा लाभ
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी, संतुलित और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की ऐतिहासिक पहल शुरू की है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में यह कदम न केवल संसाधनों के समुचित उपयोग की दिशा में है, बल्कि यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को हर बच्चे तक पहुँचाने का मजबूत संकल्प भी है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा देने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने युक्तियुक्तकरण की व्यापक प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य उन स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को जहां छात्रों की उपस्थिति शून्य है, वहां से हटाकर उन शैक्षणिक संस्थानों में भेजना है, जहां वास्तव में उनकी आवश्यकता है।
शिक्षा विभाग की हालिया समीक्षा रिपोर्ट में सामने आया कि राज्य के 211 शासकीय विद्यालय ऐसे हैं, जहां कोई छात्र नहीं है, फिर भी वहां शिक्षक पदस्थ हैं। इस स्थिति ने सरकार को शिक्षकों के पुनर्विन्यास की जरूरत पर गंभीरता से विचार करने को मजबूर किया।
सरगुजा और अन्य जिलों से मिले उदाहरण इस असंतुलन की पुष्टि करते हैं। वहीं दूसरी ओर, कई दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों के विद्यालयों में गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक लंबे समय से अनुपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि, “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हमारा ध्येय है, और इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षक वहीं पदस्थ हों जहां छात्र मौजूद हैं।” कुंवारपुर प्रवास के दौरान ग्रामीणों की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने शिक्षक व्यवस्था में त्वरित सुधार के निर्देश दिए। शिक्षाविदों का मानना है कि यह निर्णय छत्तीसगढ़ को शिक्षा के क्षेत्र में मॉडल राज्य बना सकता है, बशर्ते इसे पारदर्शिता और निष्पक्षता से लागू किया जाए। शिक्षा विभाग ने प्रक्रिया में मानवीय दृष्टिकोण, डेटा-आधारित निर्णय और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। यह निर्णय केवल व्यवस्थागत सुधार नहीं है, बल्कि यह उस सोच की दिशा में एक बड़ा कदम है जो मानती है कि शिक्षा तभी सार्थक है जब शिक्षक और छात्र दोनों अपनी-अपनी जगह पर हों।