
5000 नए शिक्षकों की भर्ती की घोषणा के बीच ‘युक्तियुक्तकरण’ को लेकर कांग्रेस ने जताई आपत्ति, सरकार ने बताया शिक्षण सुधार का कदम
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में 5000 शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की है, लेकिन इसके साथ ही स्कूलों के समायोजन और मर्जर की प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। एक तरफ जहां सरकार इस कदम को शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में मान रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे शिक्षकों के पद खत्म करने की साजिश करार दे रहा है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षक भर्ती को लेकर बड़ी घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री ने 5000 शिक्षकों की नियुक्ति के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। इस घोषणा के साथ ही प्रदेश में ‘युक्तियुक्तकरण’ (Rationalization) की प्रक्रिया और स्कूल मर्जर को लेकर राजनीति गर्मा गई है।
मुख्यमंत्री ने इस घोषणा को जनता के प्रति अपनी सरकार की जवाबदेही और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का प्रतीक बताया है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक शुरुआत है, आने वाले समय में शिक्षा को और सशक्त बनाया जाएगा। हालांकि विपक्ष इस फैसले से सहमत नहीं है। विपक्ष का कहना है कि शिक्षक भर्ती की बात एक दिखावा है, असल में सरकार स्कूलों को समायोजित कर और शिक्षक अनुपात में बदलाव कर हजारों पद खत्म कर रही है।
विपक्षी नेताओं का दावा है कि नए सेटअप में छात्रों और शिक्षकों का अनुपात बढ़ाकर स्कूलों में शिक्षकों की संख्या कम की जा रही है। बताया गया है कि पहले जहां प्राथमिक स्कूलों में औसतन 21 छात्रों पर एक शिक्षक होता था, अब यह अनुपात 30:1 कर दिया गया है। मिडिल स्कूलों में 26:1 के अनुपात को बढ़ाकर 35:1 किया गया है। इससे एक अनुमान के अनुसार लगभग एक-तिहाई शिक्षकों की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। विपक्षी नेताओं ने यह भी सवाल उठाया है कि दो शिक्षकों से 18 विषयों की पढ़ाई कैसे संभव होगी? उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता गिरेगी और शिक्षकों पर कार्यभार असहनीय हो जाएगा।
वहीं, सत्ता पक्ष इस प्रक्रिया को शिक्षा के क्षेत्र में एक जरूरी सुधार बता रहा है। उनका कहना है कि इससे शिक्षकों का बेहतर उपयोग होगा और जहां शिक्षकों की कमी है वहां उन्हें भेजा जा सकेगा। इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि इससे सरकारी स्कूलों की पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार होगा।
‘युक्तियुक्तकरण’ को लेकर दोनों पक्षों में बयानबाज़ी तेज़ है। जहां एक ओर विपक्ष इसे शिक्षकों के अधिकारों पर हमला बता रहा है, वहीं सरकार इसे एक संतुलित और कुशल शिक्षा प्रणाली की दिशा में उठाया गया कदम कह रही है।