
13 दिन में दूसरी बड़ी घटना, हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद सड़कों से मवेशी नहीं हटे; अज्ञात वाहन चालक फरार, गौ सेवकों ने जताया विरोध
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नेशनल हाईवे पर एक बार फिर तेज रफ्तार ने निर्दोष मवेशियों की जान ले ली। रविवार देर रात चकरभाठा थाना क्षेत्र में एक अज्ञात वाहन ने सड़क पर बैठे 18 गायों को कुचल दिया, जबकि कई अन्य घायल हो गए। यह हादसा प्रशासन की उदासीनता और हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी का नतीजा है।
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रायगढ़-रायपुर नेशनल हाईवे पर रविवार देर रात एक भीषण हादसे में 18 गायों की मौत हो गई और लगभग 5 मवेशी गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा चकरभाठा थाना क्षेत्र के कड़ार-सारधा चौक के पास हुआ, जहां सड़क पर बैठे मवेशियों को एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने कुचल दिया और मौके से फरार हो गया।
घटना की जानकारी सोमवार सुबह गौ-सेवकों को मिली, जिसके बाद वे मौके पर पहुंचे। घायलों का इलाज कराया गया, जबकि मृत गायों का स्थानीय लोगों ने गड्ढा खोदकर अंतिम संस्कार किया। आक्रोशित गौ-सेवकों ने चकरभाठा थाने में एफआईआर दर्ज करवाई और आरोपी वाहन चालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने अज्ञात चालक के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
प्रशासनिक दावे फेल, हाईकोर्ट के आदेश हवा में
यह 13 दिनों में दूसरा बड़ा हादसा है। प्रशासन की तरफ से हाईवे पर मवेशियों को हटाने के लिए कई बैठकें और निर्देश दिए गए थे, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कार्रवाई नदारद है। कलेक्टर संजय अग्रवाल लगातार अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं कि सड़कों से मवेशियों को हटाया जाए और लापरवाह गौ पालकों पर कार्रवाई की जाए, परंतु परिणाम शून्य है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहले ही इस विषय में राज्य सरकार और प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दे चुका है कि सड़कों पर घूमते मवेशियों को हटाया जाए और हादसों पर निगरानी रखी जाए। बावजूद इसके, तखतपुर-मुंगेली, कोटा रोड, मस्तूरी, चकरभाठा और सीपत क्षेत्रों में शाम होते ही सड़कें मवेशियों से पट जाती हैं।
पहले भी हुए हैं जानलेवा हादसे
13 दिन पहले रतनपुर-पेंड्रा मार्ग पर भी ऐसा ही हादसा हुआ था, जहां बारीडीह के पास एक वाहन ने 14 गायों को कुचल दिया था। पांच अन्य मवेशी घायल हुए थे। उस मामले में वाहन चालक और मवेशी मालिक दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई।
सवाल प्रशासन पर
यह घटना केवल तेज रफ्तार का परिणाम नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्था की विफलता का गंभीर उदाहरण है। जब उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है, तो आम नागरिक और बेजुबान पशुओं की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जाए?