
मोवा, भनपुरी, अमलीडीह सहित प्रमुख क्षेत्रों में होगा निर्माण; एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा गुढ़ियारी, रोजाना लाखों यात्रियों को मिलेगा फायदा
रायपुरवासियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। शहर की बढ़ती जनसंख्या और ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए पहली बार राजधानी में एक साथ 7 ओवरब्रिज बनने जा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग ने इसके लिए बजट स्वीकृति के साथ निर्माण कार्य की योजना तैयार कर ली है। इन फ्लाईओवरों से न केवल ट्रैफिक जाम कम होगा बल्कि हर मार्ग पर औसतन 15-20 मिनट का समय भी बचेगा।
रायपुर। रायपुर में तेज़ी से बढ़ते यातायात और बार-बार लगने वाले ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। शहर के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ 7 नए ओवरब्रिज बनाए जाएंगे, जिनका सर्वे और डिजाइन तैयार है और अधिकांश को बजट स्वीकृति भी मिल चुकी है।
🔸 इन इलाकों में होंगे ओवरब्रिज निर्माण:
1. कालीबाड़ी चौक से पुलिस लाइन गेट तक: इस मार्ग पर 50 करोड़ रुपये की लागत से 1.5 किलोमीटर लंबा ओवरब्रिज बनेगा। सुबह-शाम भारी जाम की स्थिति रहती है। यहां रोजाना 35 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं।
2. फुंडहर चौक से टेमरी: एयरपोर्ट की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए राहत। 30 करोड़ रुपये की लागत, 700 मीटर लंबाई और 17 मीटर चौड़ाई। यहां 25 हजार से अधिक वाहनों की आवाजाही होती है।
3. अमलीडीह चौक से द्रोणाचार्य स्कूल: 40 करोड़ की लागत से केनाल लिंकिंग रोड पर बनने वाला यह फ्लाईओवर एमएमआई अस्पताल से होकर गुजरेगा। रोजाना 25 हजार वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं।
4. गुढ़ियारी से एक्सप्रेस-वे कनेक्शन: शुक्रवारी बाजार से स्टेशन की तरफ फ्लाईओवर बनेगा, जो सीधे रायपुर एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा। इससे पश्चिमी क्षेत्र को नया लिंक मिलेगा और ट्रैफिक का बोझ कम होगा।
5. मोवा – खालसा स्कूल से रिलायंस मार्ट तक: यह फ्लाईओवर 135 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित है। ट्रैफिक दबाव के कारण इसे प्राथमिकता में रखा गया है।
6. भनपुरी चौक: यहाँ 40 करोड़ की लागत से फ्लाईओवर बनाया जाएगा। प्रतिदिन 50 हजार से अधिक वाहन यहां जाम की स्थिति से जूझते हैं।
7. खारून नदी ओवरब्रिज: यह पुल रायपुर और पाटन को जोड़ेगा। 60 करोड़ का प्रस्ताव शासन के पास भेजा गया है। इसके बन जाने से रोजाना 80 हजार वाहन निर्बाध रूप से गुजर सकेंगे।
निर्माण में तेजी लाने की तैयारी
लोक निर्माण विभाग ने सभी ओवरब्रिज के निर्माण के लिए एक वर्ष का लक्ष्य तय किया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी सर्वे, डीपीआर और टेंडर प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जा रही है।
यातायात सुरक्षा और समय की बचत होगी
इन ओवरब्रिजों के बन जाने से न सिर्फ रोजाना लगने वाला ट्रैफिक जाम कम होगा बल्कि आम नागरिकों को औसतन 15 से 20 मिनट तक का समय बचेगा। साथ ही हादसों में भी कमी आएगी।
शहर की पहचान को मिलेगी नई उड़ान
इस परियोजना के पीछे मंशा है कि रायपुर को एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रैफिक मैनेजमेंट के बेहतरीन उदाहरण के रूप में स्थापित किया जाए। लोक निर्माण मंत्री का कहना है कि “शहर का विकास अब उसकी नई पहचान तय करेगा।”