
उत्तराखंड-हिमाचल में भारी बारिश और भूस्खलन से हाईवे जाम, 500 से ज्यादा सड़कें बंद; उत्तराखंड में 4 मौतें, कई लापता
मानसून के कहर से उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। उत्तराखंड के बाद अब हिमाचल के किन्नौर जिले में बादल फटने की घटना सामने आई है, जहां कैलाश मानसरोवर यात्रा को बीच में रोकना पड़ा। ITBP ने जोखिम उठाकर 413 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला है, वहीं लैंडस्लाइड और भारी बारिश से दर्जनों सड़कें ठप पड़ी हैं।
नई दिल्ली/भोपाल/लखनऊ (ए)। उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के तंगलिंग क्षेत्र में बुधवार को बादल फटने की घटना ने लोगों को दहशत में डाल दिया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पहाड़ से भारी चट्टानें और मलबा तेजी से सड़क पर गिर रहा है, जिससे वहां बाढ़ जैसे हालात बन गए।
इस प्राकृतिक आपदा का सीधा असर कैलाश मानसरोवर यात्रा पर पड़ा है। तंगलिंग मार्ग पर दो पुल बह जाने और मार्ग के कई हिस्सों के टूटने से यात्रा को रोक दिया गया है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की टीम ने तत्परता दिखाते हुए ज़िपलाइन के ज़रिए 413 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
किन्नौर के रिब्बा गांव के पास रालडांग खड्ड में भी बादल फटने से नेशनल हाईवे-5 पर यातायात बंद हो गया। करीब 150 मीटर तक हाईवे की सड़क मलबे और पत्थरों से ढकी हुई है। गनीमत रही कि इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
इधर, मंगलवार रात चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर भूस्खलन के कारण यातायात पूरी तरह ठप हो गया। कुल मिलाकर राज्य में 500 से अधिक सड़कें बंद हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शिमला, मंडी, सोलन और कुल्लू जिलों में स्कूलों की छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं।
इससे पहले उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में भी मंगलवार को बादल फटा था। इस हादसे में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 50 से अधिक लोग लापता हैं। कर्णप्रयाग में भूस्खलन के चलते बद्रीनाथ नेशनल हाईवे अवरुद्ध है। हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग पर चट्टान गिरने से रेल संचालन पूरी तरह से प्रभावित हुआ है।