
सरकार 12% और 28% स्लैब खत्म कर सिर्फ 5% और 18% दरें रखने की तैयारी में, सितंबर की काउंसिल बैठक में होगा अंतिम फैसला
नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण के बाद GST ढांचे में बड़े सुधार की दिशा में कदम तेज हो गए हैं। सरकार अब कर प्रणाली को आसान बनाने और उपभोक्ताओं पर टैक्स का बोझ घटाने की तैयारी कर रही है। प्रस्तावित बदलावों के तहत कपड़े, खाद्य सामग्री और कुछ सेवाओं को 5% स्लैब में लाने की योजना है, जबकि सीमेंट पर टैक्स घटाकर 18% किए जाने की संभावना है।
नईदिल्ली(ए)। केंद्र सरकार GST व्यवस्था को सरल और आमजन के लिए सहज बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से घोषणा की थी कि टैक्स संरचना को आसान बनाया जाएगा। इसी क्रम में मंत्रियों के समूह (GoM) ने हाल ही में हुई बैठक में 12% और 28% के स्लैब खत्म करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। अब GST दरों को दो हिस्सों—5% और 18%—में सीमित करने की योजना है।
कपड़े और खाने-पीने की चीजों पर राहत
सरकार का इरादा है कि कपड़े और आवश्यक खाद्य सामग्री को 5% के कम टैक्स स्लैब में लाया जाए। इससे आम उपभोक्ता को सीधे राहत मिलेगी। वहीं लंबे समय से कंस्ट्रक्शन सेक्टर की मांग पर विचार करते हुए सीमेंट पर टैक्स 28% से घटाकर 18% करने का प्रस्ताव है।
सेवाओं और बीमा पर भी नजर
अभी छोटे सैलून GST से बाहर हैं, जबकि बड़े और मिड-लेवल सैलून पर 18% टैक्स लगता है। इस पर भी दरें घटाने की संभावना है ताकि ग्राहकों पर बोझ न पड़े। रिपोर्ट्स के अनुसार, टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर GST पूरी तरह खत्म करने पर भी विचार चल रहा है।
कारों पर फिलहाल राहत नहीं
वाहनों के मामले में फिलहाल कोई बड़ी राहत नहीं मिलने वाली है। 4 मीटर तक की छोटी कारों पर 18% और बड़ी कारों पर 40% टैक्स पहले की तरह जारी रह सकता है।
सितंबर में होगा अंतिम निर्णय
GST सुधारों पर अंतिम निर्णय 3 और 4 सितंबर 2025 को होने वाली GST काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा। बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। इससे पहले 2 सितंबर को अधिकारियों के साथ गहन विमर्श होगा। वित्त मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, दरों में बदलाव से केंद्र और राज्यों को लगभग 40,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है।
त्योहारों से पहले उपभोक्ताओं को राहत
सरकार का लक्ष्य है कि दशहरा और दिवाली से पहले नई दरें लागू कर दी जाएं। दिवाली इस साल 21 अक्टूबर को है, ऐसे में अगर यह सुधार लागू होते हैं तो यह आम उपभोक्ताओं और कारोबारियों के लिए त्योहार से पहले बड़ा तोहफा साबित होगा।